संदीप कुमार सिंह 09 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है. जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे. 10804 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:- दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" होगा भला समाज का,जब खुद में हो शक्ति। कुछ ऐसा ही काम कर,मिले न कहीं विरक्ति।। होगा भला समाज का,करना है कुछ खास। दिव्य दीप हर घर जले,लेकर नव विश्वास।। होगा भला समाज का,पुलकित रखें विचार। जिस से लोगों का भला,होता हो अति यार।। होगा भला समाज का,जला प्यार का दीप। आगे अपना देश हो,खुशियाँ रहे समीप।। होगा भला समाज का,जब खुद में हो जोश। देख सभी हैरत करे,उनको भी हो होश।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....