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आज (वर्तमान)

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता प्रेरणा से भरपूर है। सभी पाठकों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी। 41686 0 Hindi :: हिंदी

कल करो सो आज करो,
 होगी पल में प्रलय ।
बहुरी करोगे,
 कब क्या??
परिवर्तन की है सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड,
यह है अटल और अविचल सत्य।
सत्य जान फिर भी,
हम क्यों रहें अनजान?

चुप बैठकर मत खो दे अपना आज,
कर ले कुछ काम,
कर ले कुछ नाम ओ नादान।
जिन्दगी चलने का है नाम,
थाम दामन ईमान का।
कर दे हैरत सब के इन्तजार का,
छोड़ अपनी गलत गुमान को,
तराशी इस दुनिया को और तराश।

बना अपने जिगर को फौलाद सा,
सारी ताकत झोंक दे,
पिघला पत्थरों को पानी सा ।
अब और नहीं रहना खामोश,
आग से आग जला,
कर दे छलनी सीना,
नफरत और गुमान का।

जिन्दगी तेरी सबसे बड़ी,
ताकत का है खजाना ।
तूं यह ले जान,
यह है मूल मंत्र इन्सान का।

अनन्त है दुनिया सारी,
कभी सोच मत बेकार का।
यहां है सब कुछ,
हो तैयार मन से।

कल की चिन्ता छोड़,
जिन्दगी को जी ।
आज के प्यार में,
लिए सैलाब उमंगों का,
थामे दामन आनन्दों का।
          
                   चिंटू भैया



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