संदीप कुमार सिंह 15 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6515 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) जिन्दगी को मैंने इस कदर देखा जिन्दगी मुझ में डूब गई। मेरी हर चाहत को पूरा करने के लिए मजबूर हो गई। अब आलम यह है कि सारी दुनिया हमें देखकर हैरत में है _ चाँदनी ही चाँदनी मेरे जीवन में अदाओं से फैल गई। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....