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धरती मां

महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 80536 0 Hindi :: हिंदी

         धरती मां 

धरती मां तुझे नमन करूं मैं 
तू जीवन आधार है 
अस्तित्व नहीं है तेरे बिना 
तुझसे ही संसार है ll

गर्भ से तेरे ज्वाला निकले
नभ से तेरा नाता है 
प्राणवायु तू ही देती 
नीर भी तुझसे आता है ll

प्रकृति की तू है मूरत 
तेरा रूप अनोखा है 
तू ही सृजक तू ही विनाशक 
यह तो सब ने देखा है ll

हर कण तेरा सोना उगले 
हर कण तेरा मोती है
अनगिनत अनमोल रतन तू 
सीने में रख कर सोती है ll

एक बीज जो बोता तुझमें 
पाता अन्न के भंडार है 
मां की ममता तुझमें बसती 
तुझमें पिता का प्यार है ll

कहीं है ऊंची पर्वत माला
कहीं समुद्र सी खाई है 
समेटे सारी दुनिया को तू 
धरती मां कहलाई है ll
                              👏👏
                              धन्यवाद 
   रचनाकार:-
 महेश्वर उनियाल 
  "उत्तराखंडी"

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