DINESH KUMAR KEER 16 Apr 2024 कविताएँ समाजिक 3015 0 Hindi :: हिंदी
वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए । जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए । हाथ में मोबाइल आते ही चिट्ठी लिखना भूल गए । जब घर में ac आया, तो ठंडी हवा के लिए पेड़ के नीचे जाना बंद कर दिया। जब शहर में रहने लगे, तो मिट्टी की गंध को भूल गए । परफ्यूम की महक से लोग ताजे फूलों की महक भूल गए ! हमेशा इधर - उधर भागते लोग, रुकना भूल गए कि कैसे रुकना है । और अंत में जब सोशल मीडिया मिला, तो घर वाले आपस में बात करना भूल गए ...