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पिता जगत मे धर्म हैं

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक लोगों के लिए प्रेरणा से भरपूर मेरी कविता जिसका शीर्षक ऊपर दिया हुआ है। 7638 0 Hindi :: हिंदी

पिता जगत में धर्म हैं, यही तप ज्ञान स्वर्ग।
छाया ठंढी नित मिले, मेरे दुनिया सर्ग।।

पिता अतप हैं कोठरी, ये ही हैं सब धाम।
चरणों में इनके सदा, जीवन सहित  प्रणाम ।।

अति प्रिय हैं सबके पिता, पाते इनसे शक्ति।
प्राणों से बढ़कर लगे, इनका ही कर  भक्ति।

दुलार उमंग पास हो, पिता ही रहे खास।
किए उपकार जन्म से, रखते इनको पास।।

जान प्राण सब हैं पिता, दुनिया में अनमोल।
सेवा इनका नित करूं, हैं ये मीठी घोल।।
संदीप कुमार सिंह ✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार 

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