Baba ji dikoli 30 Mar 2023 शायरी समाजिक समाजसुधार/मन की बात/अदभुत/देश हित/स्वरचित/कविता/ 8603 0 Hindi :: हिंदी
आज कल बड़ा चुपचाप सा रहता हूं। मिलेगी सफलता बस इसी आस में बैठा हूँ। और ये प्यार व्यार हमसे न होगा, में तो बस अपनी धुन में रहता हूं।
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आजाद कवि...