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काँच ना बन रे मानव चोट खाय चटकाए

premlata suthar 08 May 2023 कविताएँ समाजिक 🙏🏻✍🏻 6746 2 5 Hindi :: हिंदी

काँच ना बन रे मानव चोट खाय

चटकाए।

बनना है तो पाषाण बन तराशे मुर्ति

बन जाये ।।

आपस में टकरात जो, चिनगारी

छुट जात ।

ओर लागत जो ठोकर, इंसान गिर

जात ।।

 PREMLATA SUTHAR(MISHTI SHARMA)✍🏻🙏🏻
 मुश्किलों मे इन्सान को पत्थर की

भाती अडिग होकर सामना करना चाहिए ।

Comments & Reviews

premlata suthar
premlata suthar 🙏🏻👌🏻

10 months ago

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premlata suthar
premlata suthar 😍

10 months ago

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