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जन्नत का शहर

राहुल गर्ग 01 Mar 2024 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार की तकरार, प्यार की शायरी, प्यार, शायरी दिलजलों की 7461 0 Hindi :: हिंदी

अनगिनत ख्वाहिशों का पुलिंदा, और उसका सार भी है।

जिद्दी हुए परिंदों का, खुला आसमान भी है।

तेरी जहनत में हर मजहब के लिए सजदा

हिन्दु की नवरात्रि तू औऱ मुस्लिम का रमजान भी है।
 
तू सागर की लहरों के लिए किनारा भी है

तू बूढ़े बुजुर्गों के लिए सहारा भी है

तू है तो जहाँ में है मोहब्बत का जलसा

तू  पूनम का चाँद तो अमावस्या का सितारा भी है।

मैंने हर मंजर को अमदन तेरे हवाले कर दिया 

ये सोचकर, कि तूने हर गुलिस्ताँ खुशियों से भर दिया।

मैं अनजान था कि तेरे पास भी इंसाफ-ए-तराजू

तू जन्नत का शहर तो, दोजख का द्वार भी है।

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