संदीप कुमार सिंह 08 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3602 0 Hindi :: हिंदी
स्पर्धा का दौर है,मन को रखें बुलंद। रखिए ऊँच विचार को, हों शीतल सम चंद।। स्पर्धा का दौर है, रखें साथ उत्साह। कम हों कभी न चाह नव,लगे सुलभ हर राह।। स्पर्धा का दौर है,सदा प्रगति है ख्याल। करूं नहीं मैं आसकत,होता माला माल।। स्पर्धा का दौर है, सो जीवन है जंग। रखें ह्रदय में हौसला,खुशी भरे हों रंग।। स्पर्धा का दौर है,सुविधा सब हों पास। मन से मेहनत मैं करूं, पूरी होती आस।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....