Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मत छूओ छाया को 43135 0 Hindi :: हिंदी
मत छूओ छाया को अब बिखर जाने दो/ इन काले बादलो को आसमान में उड़ जाने दो, मत छूओ छाया को अब बिखर जाने दो/ तिन - तिन बिखरती इन गर्मियों को आज हवा से सिमट जाने दो, इस चलती हवा को धरा में फ़ेल जाने दो, मत छूओ छाया को अब बिखर जाने दो/ थिर - थिर बिखरती इन बूंदों को मिट्टीयों से मिल जाने दो, बहती मिट्टी को बिखरने से बच जाने दो, मत छूओ छाया को अब बिखर जाने दो/ मन भाये इन पेड़ों की छाया से ना आज इन्हे कट जाने दो, लगे ठंडी छाया आँगन में घर - घर पेड़ों से तुम आने दो, मत छूओ छाया को अब बिखर जाने दो/