Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य बो रुत तू 5527 0 Hindi :: हिंदी
चुलबुली धुप तू बिन मौसम बदले बो रुत तू न बिजली तड़के न बादल गरजे बिन मेघ बरसात तू रूप बहु तेरे रंग सतरंगी जैसे नवरंग बसंत तू रंगो के बहार होली के बौछार भांग पि जो गाया जाये बो चैतार तू भादो के कादो अगहन के गोआर तू पुष के ठिठुरती ठंढ सुबह के प्रभात तू पल पल जो हैं बदलती निर्मोही निर्दई समय तू