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मानवता ही धर्म है-प्यार सदा अनमोल

संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें 3960 0 Hindi :: हिंदी

कुंडलिया छंद 
मानवता ही धर्म है,प्यार सदा अनमोल।
करे कर्म से याद जग,मीठे रखते बोल।।
मीठे रखते बोल,रहे सबसे वह आगे।
बनते दिव्य मिशाल,सदा उनसे बद भागे।।
कहते कवि संदीप,चाह में रखिए नवता।
बना रहे आनंद,सुखी रखता मानवता।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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