Dipak Kumar 20 Jun 2023 कविताएँ समाजिक #Google #हिन्दी कविता #समाजिक #हिन्दी साहित्य #माँ 5464 0 Hindi :: हिंदी
जीवन की राहों में अकेली रवानी, सबके होंठों पर गुणगानी, ममता की ज्योति, प्यार की पहचानी, यही है मेरी माँ की पहचानी। धूप की किरणों की रश्मियों के जैसी, सदैव संग रहती हैं वैसी, जीवन के हर उद्घाटन पर साथ रहती हैं वही, यही है मेरी माँ की बेपत्ती। अन्धकार को छिनकर, रोशनी बनती हैं वह, हर आंसू को हंसी में बदलती हैं वह, चंदन की खुशबू, गुलाब की सदां हैं वह, यही है मेरी माँ की शोभा का कारणी। सर्वशक्तिमान की अवतारी हैं वह, भगवान की प्रतिमा हैं वह, प्यार, स्नेह, आदर की आभूषणी हैं वह, यही है मेरी माँ की महिमा का वर्णनी। जन्म से जीवन भर का होता हैं साथ वह, मुसीबतों में हौसला बढ़ाती हैं वह, आशीर्वादों के बूंद को वर्षा बनती हैं वह, यही है मेरी माँ की महिमा का वर्णनी। माँ की ममता अपार हैं, उनका प्यार हृदय के पार हैं, देखो जब भी आँखों में आँशु आते हैं, माँ की दुलारी बहुत अनमोल हैं। माँ, तुम हो जीवन का आधार, तुम्हारे बिना रहता नहीं कोई बार, तुम्हारे आंचल में मिलती है सुख-दुःख की धूप, तुम्हारे प्यार की क्या कहूँ कहानी, बस इतना ही कहूँ, तुम हो मेरी जीवन की तोप। तुम्हारी मुस्कान से रौशन हो जाता है सबका आसमान, तुम्हारी आँखों में समाहित हैं पूरी सृष्टि के वर्ण, तुम्हारी गोद में मिलता है स्वर्ग का आनंद, तुम्हारे चरणों में सुरमई धुन के निधान। जननी तुम हो अनन्य और अमर, तुम्हारा स्नेह सदैव अद्वितीय और अमिताभ, तुम्हारी कृपा से जीवन होता है महकमा, तुम्हारे आशीर्वाद से प्राप्त होता हैं आनंद अनुभव। अनंत शक्ति, अनंत प्रेम, अनंत शांति हैं तुम, तुम्हारी देखभाल में हैं भक्तों का संगम, जन्म-जन्मांतर का हैं तुम्हारा साथ, माँ, तुम हो विश्वास का प्रबंधक, बलिदानी साथी, सर्वशक्तिमान स्वरूप। आओ माँ, मेरे गीतों में गुंजाओ अपनी मुरली, तुम्हारे आगमन से खिल उठेंगे हृदय के पुष्प सब। ~ Dipak Kumar