Jogi Bhutal 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत ਜਗਸੀਰ ਜੋਗੀ, ਜੋਗੀ ਭੁਟਾਲ, bhutal kalan 10931 0 Hindi :: हिंदी
बाहर ए गुलशन है मगर निरास बैठी है चमन अंदर बी बुलबुल उदास बैठी है किसे पिंजरे च फसे होए मासूम पंछी वाग लै के दिल च विराग कोई ख़ास बैठी है दिखे हसदी बाहरो पर अंद्रो ता लग्गे हो के मुर्दा ओह बेजान लास बैठी है जापे मुधता तो दिल च छुपाके कोई राज लै के मिलने की दिल बिच आस बैठी है होवे रूबरू जे तु एह फिर मिट जाए पियासी तेरे बिन पियासी मेरी पियास बैठी है बूतसाजा तो बी गया ना मिटाया खोरे किवे नाम जोगी का वह दिल पे तरास बैठी है जगसीर जोगी