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जहाँ स्वार्थ है जितना- गा रहे है वो उतना गुण

Bholenath sharma 30 Jan 2024 कविताएँ समाजिक जहाँ स्वार्थ है जितना 4653 0 Hindi :: हिंदी

कहीं हो रहीं प्रशंसा कही हो रही निन्दा     
  कही गा रहे गुठा कही गा रहे अवगुण       
    जहाँ स्वार्थ है जितना                            
    गा रहे है वो उतना गुण ।

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