Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #अम्बेडकर नगर पोइट्री#रामबृक्ष कविता#भूख पर कविता#भूख की कामना कविता रामबृक्ष 57899 0 Hindi :: हिंदी
कविता-भूख की कामना भूख दिखाई नहीं देती, दिखाई देते हैं भूख से तड़पते लोग कुछ को वो भी नहीं सिवाय अपने के, न भूख की पहचान है, न भूख पहचानती है जूठा भात न गिनती है बासी रोटी का दिन सिवाय खाने के, देखा है भूख के नाम पर लोगों को ठगते या ठगे जाने के, भूख की जाति नहीं है न धर्म फिर न जाने क्यूं! छोटे बड़े बिरादरी में बटे हुए लोग भूख मिटाने से इन्कार करते हैं! भूख छोटी बड़ी नहीं है न इंसान फिर भी भूख हमें मारती है सताती है हमें क्या से क्या नही बनाती! हम भूख को नहीं, भूख सीधी साधी नही है न समय इंसान को मिलाती है अलग करती है भेजती है कहीं दूर कमाने को भूख की कामना है मिले रोटियां मद भरा कोई प्याला नहीं। रचनाकार- रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...