Santosh kumar koli 13 Dec 2023 कविताएँ समाजिक बात -बखेड़ा 6138 0 Hindi :: हिंदी
हम दो कर रहे बात, पास तीसरा व्यक्ति। हंसी, मज़ाक़, मनोरंजन, अपनी-अपनी अभिव्यक्ति। बात सीधी- सादी, सीधे-सादे हम। एक दूसरे को सुना रहे, अपनी खुशी, अपने ग़म। उड़ती बात को, तीसरे ने लिया झपट। नमक, मिर्च लगा, मिला दिया कज, कपट। चूड़ी से चूड़ी मिली नहीं, चूड़ी पर चूड़ी गई चढ़। चौथे की तरफ सरका दिया, कुटिल मुस्कान गढ़। चौथे ने ऐसे फेंका, फंस गई चूड़ी मर, बात हुई बेमानी, घूम गई घर-घर।