Neetesh Shakya 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नीतेश शाक्य दोहे 16600 1 5 Hindi :: हिंदी
लिखने को तो हम बहुत कुछ लिख सकते हैं, लेकिन आज के दौर में सब कुछ लिख चुका है और बहुत अच्छे अनुभवी लेखक हुए हैं| उन्होंने कोई भी शब्द गलत नहीं लिखे जो हमारे संज्ञान में और दिमाग में शब्द आए हैं| वह हम लिख रहे हैं यदि कोई त्रुटि बने तो हमें क्षमा करें और आगे बताएं दोहा तो वैसे कबीरदास और अच्छे महान कवि हुए हैं उन्होंने लिखे हैं| लेकिन फिर भी हमने जो दोहे लिखे हैं हमने कोशिश की है शब्द मैचिंग करने की| दोहा:- सुंदर रूप निराला, मन में भरी गंद| इस काया का क्या होय, बस में नहीं अंग||1|| चलती पवन बहती नदी, इनके कोई न रूप| किस दिशा में मोड़ चलें, क्या इनका स्वरूप||2|| मूर्ति पूजा कर रहे, पत्थर से लागी आस| माता पिता दुख में पड़े, हो रहे वो हिरास||3|| फेसबुक चला रहे तुम, हो रहे हो असाय| पढ़ना लिखना रहा नहीं मांग रहे व्यवसाय||4|| पीठ पीछे शेर बने, सामने निकले प्रान| देशहित कुछ बात नहीं, धर्म पर फिजूल बयान||5|| रिश्वतखोरी खुद करें, दोषी हो सरकार| गिरेबान में झांक के देखो,आप कौन साकार||6|| पढ़ने के बहाने आप, पार्क रहे घूम| मात पितु की दौलत से, करते खूब सुकून||7|| कालेज का बहाना कर, पिकनिक रहे मनाय| नौकरी नहीं लग रही, सरकार दोषी काए||8||
6 months ago
CSC Employee, Cyber Crime Information, Computer Service 💔टूटे हुए सपनो...