प्रियंका कश्यप 30 Mar 2023 आलेख समाजिक आधुनिक समाज 5877 0 Hindi :: हिंदी
आज की युवा पीढ़ी होने के नाते मैं कुछ खुद के अपने विचार लिख रही हु जैसा की सब को पता है आज आधुनिकता इतनी के जाता बड़ गई है की हमे हमारी जिंदगी बहुत आसान लगने लगी है लेकिन हम युवा इतने आधुनिक हो गए की हम अपने संस्कार आदर सत्कार तक भूल गए हैं हमारे संस्कार इतने अच्छे हैं जिसे दूसरी देश के लोग अपना रहे है लेकिन आज के युवा 1000तक के छोटे कपड़े पहन ना ही अपने संस्कार मान रहे है जो हमारे संस्कार का हिस्सा है ही नही लेकिन मैं खुद की बात करू तो मुझे सादगी शरालता और सहजता की जिंदगी जीना सिखाया गया है लेकिन मैं वर्तमान की बात करू तो केवल एक घंटे के लिए 20/30 हजार तक के लहंगे पहने जाते हा यह आधुनिकता का अंधा दौर नही तो और क्या है कहा जाता है की कोई भी पेड़ तब तक ही जीवित रह पाता है जब तक वह अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है और मुझे लगता है समाज मै लोगो की जड़े संस्कार है जिससे जुड़ा रहना लोगो के लिए बहुत जरूरी है जो लोग संस्कार से अलग हो जाते है वो लोग कटी पतंग की डोर की तरह हो जाते है को उड़ तो रही है मगर मंजिल वा रास्ता तय नही होता न ही पता होता है की वह कहा जायेगी लेकिन वर्तमान समाज को देखे तो पता चलता है की यूवा पीढ़ी अपने संस्कार को दिनों दिन बहुत पीछे छोड़कर आगे आधुनिकता के दौर मै शामिल होती जा रही है संस्कार ऐसा अभिन्न भाग है जिनसे समाज तय होता है हमने खुद अनेक बार सुना है की जिस प्रकार के संस्कार किसी समाज मै होंगे उसी स्तर का समाज अच्छा माना जायेगा,.लेकिन आज के युवा संस्कारों के साथ जीने को पिछड़ापन मान रहे है लेकिन इन्हें क्या पता पूरे विश्व को जीवन मार्ग पर चलना हमारे संस्कारों ने ही सिखाया है yese ही भी भारत को विश्व गुरु कहा जाता है