Kranti Raj 20 Jun 2023 कविताएँ समाजिक 5655 2 5 Hindi :: हिंदी
दुनिया का रित है,जलना वो तो जलते रहते है हमे है,सच्चाई ही गहना सच्चाई ही लिखते रहते है दुख में रहने पर ये दुनिया दुखी पर ही हसते है यदि सुख आये जीवन में देखकर लोग जलते है बिती हुए,कल आज बताऊ समय करवट बदलते रहते है अच्छाई को एक दिन जीत हुई बडे -बुजुर्ग कहते रहते है गीले नही ,नही सिकवा हमे हम दुरजन को ही पहचानते है आत्मा नही गलत सिखता किसी को लोग राई का पहाड बना देते है न कोई दोस्त यहां ,ना कोई दुश्मन यहां अपनी मतलव के लिए भाई -भाई से दुश्मनी निभाते है कसमे वादे सब झुठ यहाँ समय के अनुसार रंग बदल लेते है ! माया का जाल है, ये दुनिया अपना का याद दिलाते है रिस्ते नाते सब छोडकर मतलव के लिए भी रिस्ते निभाते है कवि-क्रान्तिराज बिहारी दिनांक-20-06-2023
9 months ago