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* बड़ा मज़ा आता था *

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग बचपन की शरारतें 18924 0 Hindi :: हिंदी

*बड़ा मज़ा आता था*
                                  *कविता*
बचपन के दिनों में
दोस्तों के साथ मिलकर
शरारतों को करने में
बड़ा मज़ा आता था।

बचपन के खेल खेल में
अपने दोस्त की ढीली पेंट
नीचे निपकाने में
बड़ा मज़ा आता था


 स्कूल पहुंच जाने के बाद
अचानक छुट्टी की 
घंटी बज जाने पर
बड़ा मज़ा आता था ।

घर में शरारत करने पर
बड़े भाई-बहिन के मां
 से अचानक पिट जाने पर
बड़ा मज़ा आता था ।

गर्मी की छुट्टियों में
कैंची साइकिल चलाने में
दोस्त को कट से गिराने में
बड़ा मज़ा आता था ।

बाम्बे की मिठाई, नानखटाई
संतरे की गोली, बुड्ढी के बाल
बर्फ का गोला खाने में
बड़ा मज़ा आता था ।

 चाट वाले के ठेले पर
गटपट की चाट खाने में
फुल्की का पानी पीने में
बड़ा मज़ा आता था ।


रेलगाड़ी की यात्रा में
ट्रेन की सीट पर बैठकर
पुड़ी-अचार शक्कर खाने में
बड़ा मज़ा आता था । 


हम उम्र लड़कियों को चिढ़ाने में
 खेल-खेल में सताने में
उनका खेल बिगाड़ने में
बड़ा मज़ा आता था ।

बरसात के दिनों में
गड्ढे में भरे पानी को
दोस्त पर उचटाने में
बड़ा मज़ा आता था।

बरसात के दिनों में
कागज़ की नाव चलाने में
स्कूल से भीगकर घर आने में
बड़ा मज़ा आता था ।

ठंड के दिनों में धूप में
ज़मीन पर चटाई बिछाकर
पढ़ाई-लिखाई करने में
बड़ा मज़ा आता था ।

गर्मी की छुट्टियों में
दादा-दादी ,नाना-नानी
के घर जाकर छुट्टी बिताने में
बड़ा मज़ा आता था ।

रचियता- अखिलेश श्रीवास्तव

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