मोती लाल साहु 23 May 2023 कविताएँ समाजिक मन-मंदिर में बसा हो ईश्वर, ये दुनिया उसी के स्दृश्य नज़र आती है- वर्ना- लाख चाहो वक्त-वक्त के हाथों ही नाचती और नचाती है। 8234 0 Hindi :: हिंदी
मन-मंदिर में बसा हो ईश्वर! ये दुनिया- उसी के स्दृश्य नजर आती है,, वर्ना- लाख चाहो वक्त-वक्त के, हाथों ही नाचती और नचाती है!! -मोती