Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य आधुनिक संसार हैं 6590 0 Hindi :: हिंदी
समाज के जंजीर में बंधा वेडियों में चुपचाप जकड़ा न टूटता न तोड़ पाता समाज के मिथ्या इजाद ! सत्य पे असत्य का बोल बाला जबरजस्त हैं टुकड़ों में बट रहा आधुनिक संसार हैं!! जात पे मजहब हैं हावी यहाँ लाचार भी भगवान हैं क्या बही इंसान हैं जो चाँद पर हैं जा रहा क्या ए हि अविष्कार हैं जो मंगल पे छा रहा !