SHAHWAJ KHAN 16 Jul 2023 शायरी समाजिक आंधिया, आशियाने, सियाशत, समाज, शायरी, राजनीतिक, 26398 1 5 Hindi :: हिंदी
चलती हैं आंधियां तो आशियाने उजड़ जाते हैं चमन के खिलखिलाते हुए फूल उखड़ जाते हैं । अब तो सियासत भी आंधियों से कम नहीं लगती आ जाए मुआशरे में तो हालात बिगड़ जाते हैं ।
8 months ago