राकेश 17 Oct 2023 कविताएँ समाजिक रामलीला 6728 0 Hindi :: हिंदी
बचपन के वह दिन याद आते हैं, रामलीला देखने की खुशी जब हम बर्दाश्त नहीं कर पाते थे, आज के बच्चे रामलीला देखने क्यों नहीं जाते हैं, टीवी मोबाइल आदि देखकर अपना कीमती समय गवाते हैं, प्रभु राम की कृपा से ऐसे बच्चे बड़े वंचित रह जाते हैं। रामलीला देखने हम पैदल जाते थे, थकान नहीं अद्भुत सुख पाते थे, मनोरंजन शिक्षा आनंद अपने जीवन का खूब बढ़ते थे, हम अपना फर्ज क्यों नहीं निभाते हैं, नादान बच्चों को भारतीय संस्कृति रीति रिवाज का हम बड़े महत्व क्यों नहीं समझते हैं।