संदीप कुमार सिंह 06 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफ़ी लाभांवित होंगें। 3591 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:-दोहा छंद #"नमन सृजन समीक्षा मंच" जो अपने को मानते,उनको दें सम्मान। साझा करें विचार को,और बढ़ाएं ज्ञान।। जो अपने को मानते,उसके दिल में नेह। आते हम भी काम में,धन दौलत वो देह ।। जो अपने को मानते,वो होते हैं खास। आते अक्सर काम में,रहते भी हैं पास।। जो अपने को मानते,उनसे रखिए प्यार। प्यार बड़ा बलवान है,पाएं सब अधिकार।। जो अपने को मानते,विपदा में हो साथ। असली साथी हैं वही,रखें मिलाए हाथ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....