Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य जी करता हैं यु ही 58503 0 Hindi :: हिंदी
कहा भी न जाये सहा भी न जाये तू इस कदर बसी हैं दिल में की क्या बताऊ कैसे दिखाऊ बस इतना समझ ले तुझ बिन रहा भी न जाये तू रोज रोज हर रोज आती हैं और जाती हैं पर जब भी आती हैं बेशब्र कर जाती हैं जी करता हैं यु ही डूबा रहु तेरी ख्यालों में उलझा रहु तेरी बालों में तू भी कमाल हैं निठुर निर्लज निगोड़ी संगदिल बेबफा नज़रिया के तरह