सरोज कसवां 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 39012 0 Hindi :: हिंदी
पापा " आपके जाने के बाद पता चला कोई ना है आपसा यहां" सब अपने मतलब के लिए याद करते है क्यों नहीं है कोई आपसा" बहुत याद आती है आपकी जब पानी ,बिजली ,का बिल आता है क्यों चले गए पापा अपनी अधूरी ख्वाइशों को अधूरा छोड़ कर बहुत याद आती है पापा आपकी कोई नहीं है आपसा। जब भी कोई मुसीबत आती है बहुत ही समझते हे खुद को लाचार क्यों नहीं चले आते पापा हमें तकलीफों में देखकर " ""क्यों नहीं है कोई आपसा पापा""