कुमार किशन कीर्ति 23 May 2023 कविताएँ समाजिक 10176 0 Hindi :: हिंदी
याद आती है मुझे, कभी-कभी गाँव में गुजरे पल। गोधूलि के वक्त, कच्ची सड़कों पर साईकल के बेकार पहियों को घुमाना। बूढ़े पीपल के वृक्ष के नीचे, दोस्तों संग कंचे खेलना। पर,अब मैं क्या करूँ? जीवन की विवशता के आगे मजबूर हो गया। चार पैसे कमाने के लालच में मैं गाँव छोड़ आया। फिर भी, मेरे जेहन में बसी हुई मेरी गांव की यादें।