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पत्थर थी मेरी जिंदगी -मूर्ति जिंदगी ने बनाई

akhilesh Shrivastava 16 Dec 2023 कविताएँ समाजिक इंसान की जिंदगी को एक नई उर्जा और शक्ति जिंदगी में पत्नी से ही प्राप्त होती है 6670 0 Hindi :: हिंदी

*।          मेरी जिंदगी* 

मेरी जिंदगी में जब से
मेरी जिंदगी है आई
खुशी आई जिंदगी में
बहार जिंदगी में छाई।

सात फेरों में बंधकर
ये जिंदगी है आई
सातों जन्म की खुशियां
इस जिंदगी से पाई।।

पत्थर थी मेरी जिंदगी
मूर्ति जिंदगी ने बनाई
प्राण जिंदगी ने फूंके
मैंने जिंदगी है पाई।।

स्थिर थी मेरी जिंदगी
उसमें गति नहीं थी।
इसी जिंदगी के सहारे
मेरी जिंदगी चल रही है।।

मेरी जिंदगी के पहले 
मेरी जिंदगी नहीं थी
चल रही थीं ये सांसे
पर जिंदगी रुकी थी।।
 
इस जिंदगी का साथ 
जब तक है ज़िन्दगी में
बजता रहेगा मधुर 
साज जिंदगी में।।

हाथों में मेरे हाथ
सदा साथ हो ज़िन्दगी का
प्रभु का रहे ये आशीष
सदा साथ हो जिंदगी का।।

रचयिता 

अखिलेश श्रीवास्तव एडवोकेट जबलपुर

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