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( तुम्हारी हामी क्या है?)

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख अन्य ( तुम्हारी हामी क्या है?) 33288 1 5 Hindi :: हिंदी

जिस कार्य को करने के लिए_
 जितनी बिजली की, आवश्यकता होती है,
 प्रकृति हमारे अंदर, उतना ही बिजली,
 प्रभावित करती है, या प्रकाशित करती हैं,
 यही प्रकृति का नियम है,
   एक हामी भरा जीवन, प्रकृति उसका, कर्जदार होता है,, जिसका जीवन का, कोई लक्ष्य नहीं, वह प्रकृति का  ही कर्जदार होता है,""""""""""



;
 जिस  प्रकार से, मक्खियों का
, कोई ठिकाना नहीं रहता, 
उसकी बैठने के लिए, कोई सीमा नहीं है,
 इसलिए लोग उन्हें,  फटकार ते हैं,
 लेकिन मधुमक्खियों का, एक हामी है, उसकी बैठने की जगह, सीमित है,
 लोग मधुमक्खियों को, क्यों  नहीं ,
 फटकार लगाते हैं,,
" ऐसे दोनों तो मक्खियां ही हैं"
 जब तक तुम्हारे, 
"जीवन का कोई हामी नहीं होता,"
 तब तक हमें कोई
 दर्जा नहीं मिलते,
, हमारे अंदर जीने की भावना, मजबूत,
 नहीं होते,
  हामी से जीवन, सुंदर होता है, 
,संघर्षवान होता है, उस संघर्ष को करने के लिए हमें शक्ति भी प्राप्त होती है"
 एक बार एक व्यक्ति पर्वत, पर्वत चढ़ने की,
  सोचता है, फिर वह उस पर,,
   चढ़ता है, रास्ते में मिलने वाले, कष्ट को सहता है, अगर उसका लक्ष्य,, पर्वत पर चढ़ने की ना हो,, तो वह घबराकर" अपने कदम पीछे ले लेता है"
 "जीवन एक चुनौती है" यहां पर सब अपने" शर्तों के अनुसार  जीवन जीता है"
 "जिसके कोई अपने शर्तें नहीं होते"
 उस जीवन का कोई अपना अर्थ नहीं होता,

 मैं कार्य कर रहा हूं, और मुझे इस कार्य को जल्दी" निपटाना है" क्योंकि आज" मुझे अपने बेटे के लिए" कुछ कपड़े खरीदने"
 जाना है और उससे, बातें भी करना है" मुझे उसे देखने की" इच्छा हो रही है"  कितने दिनों बाद"  आज मेरा बेटा' घर को,
 लौट रहा है,,  मैं इस कार्य को, जल्दी-जल्दी
 निपटा रहा हूं" मैं थकता भी नहीं"
 मैं  रुकता भी नहीं हूं_____ इस लेख में_
 एक पिता को_ अपने बेटे से" मिलने जाना है' इसलिए वह उस कार्य को जल्द"
  निपटा रहा है, क्योंकि उसका  यहां पर,
 हामी है कि_ उसे अपने बेटे से_ मिलना है,
 पर वह बिना थके  हारे, उस कार्य को अंजाम देता है
 दूसरा लेख पढ़ें____
 मैं कार्य कर रहा हूं,
"  मेरा प्रतिदिन का कार्य है,
 इस कार्य से मुझे, बहुत ही कष्ट होती है,,
 कभी-कभी तो थक जाता हूं,
 लेकिन यह कार्य  खत्म नहीं होता, 
"सुबह उठकर"  कार्य कर रहा हूं"
 खाना भी नहीं खाया, हम गरीबों का """"क्या जीवन है?
 कार्य तो करना ही पड़ेगा,, बस कर रहा हूं,
 इस व्यक्ति के लिए,
 यह कार्य प्रधान है, इसका कोई अपना,,
 लक्ष्य नहीं है, यह कार्य करके_ कहां जाएगा क्या  करेगा"?
 इसे बस  कार्य करना है,
 इसी प्रकार से"  अगर हम जीवन में"
 सिर्फ व्यस्त रहना चाहते हैं" या थक जाना हार जाना" यही तक सीमित है,, तब हमें'
 इतनी ऊर्जा मिलती है, जितना से हमारा,
 कार्य सफल हो जाए, अगर हम कमजोर,
 रहना चाहते हैं तो' हमें हमारी कमजोरियां,
 , मिलती है थक हार जाना, एक जीवन है,
 जीवन में कुछ करने का" 
"संकल्प एक हामी है"  जो इसे चुनता है_
 "उस जीवन के अपने   नियम होते हैं,,
 प्रकृति हमारी दीनबंधु है_ 
जो जितना बड़ा लक्ष्य लेता है_ प्रकृति 
 उसको   उतना ऊर्जा देती है,
 और हमें सोचना है, ऐसा सोचना है कि _
 हमारे सामने, कई लाख वाट, बिजली की धारा,
 प्रभावित हो रही है, और हमें टीवी चलाना है,, या फिर 10 गांव को,,  रोशनी दिखानी है, उसके अनुसार_ उसकी क्षमता को_ उस तार में_ उसी के अनुसार_ बिजली प्रभावित_ किए जाएंगे_ और हमें सोचना है_
 (कि हमें कौन सा कार्य करना है,,)
 जिस कार्य में जितनी बिजली की जरूरत_)
 होती है प्रकृति हमें उतना ही,)
 बिजली हमारे अंदर, प्रभावित करती है,,)

Comments & Reviews

Shubham Kumar
Shubham Kumar युवा बेस्ट आर्टिकल

1 year ago

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