मोती लाल साहु 28 Apr 2023 शायरी समाजिक ये रचयिता की है रचना, ये मौसम - ये बहारें - ये जिंदगी सदियों से गुजर रहीं हैं। दया की लहरें गुजर रहीं हैं। 7189 0 Hindi :: हिंदी
ये मौसम खिलते बहारें यहां- सदियों से ये जिंदगी गुजर रहीं हैं ये रचयिता की है रचना- दया की ये देखो लहरें गुजर रहीं हैं -मोती