संदीप कुमार सिंह 11 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 3128 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_दोहा मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" एक परिवार में सभी,हुए अजब लाचार। सब सब को ही चाहते,करते दिल से प्यार। खाते कसकर खूब सब,गाते मिलकर गीत_ अब कुछ ऐसा हो रहा,करते नित तकरार। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....