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आज का समाज, भाग=2, मजबूर कलेक्टर

शशिकांत सिंह 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #Social #motivational #people #समाज 17897 0 Hindi :: हिंदी

मजबूर कलेक्टर, लेखक = शशिकांत सिंह

किसी जिले के एक गांव में प्रमुख सड़क के बगल में मंत्री जी के साले का मकान बना था जिसके चबूतरे रोड को छू रहे थे अक्सर रात के समय अनजान लोग उससे टकरा कर गिर जाया करते थे, सड़क के किनारे जो लोग रहते थे वह भी रोज यह सब देखते थे, खैर उनकी तो हिम्मत थी नही राय सलाह देने की, कि यह चबूतरा थोड़ा कम कर दे ताकि लोगों को गुजरने में कोई असुविधा और जान जाने का खतरा न हो, समय बीत रहा था, एक बार कुछ समझदार लोगो ने फैसला किया की मंगल दिवस के दिन डीएम साहब को एक पत्र लिखा जाए, जिससे उनके संज्ञान में यह बात आए, तो उन्होंने यह कार्य किया, डीएम साहब भी ईमानदार आदमी थे उन्होंने अपना काम भी किया | 
उसी दिन शाम का समय था डीएम (कलेक्टर) साहब जैसे ही
चाय का कप उठा कर चुस्की लेने वाले थे उनका फोन जोर से बजा और फोन देखते ही चाय की कप प्लेट पर रख दी और खड़े होकर जय हिंद सर बोल कर बात करने लगे उधर से आवाज आई "ए कलेक्टर तुमको इस जिले में रहना है या नही" दरअसल चबूतरा मंत्री जी के साले का था! कलेक्टर साहब ने कहा जी सर बताइए हमसे कोई गलती हो गईं तो सामने से आवाज आई "हा" वह सड़क के किनारे का चबूतरा हमारे साले साहब का है आपने जो आदेश दिया है उसको फौरन रोक दीजिए या समान पैक कर लिजिए, 

सिलसिला ऐसे ही चलता रहा लोग गिरते रहे, अस्पताल में भर्ती होते रहे!

एक दिन लोग चौराहे के किनारे आपस में बात कर रहे थे कलेक्टर कितना घूंस खोर है पक्का घूस खा लिया होगा! 

कुछ लोगो ने करेक्टर के नाम से धरना प्रदर्शन भी किया, लोगो ने सारे प्रयास कर लिए पर वह चबूतरा उसी तरह रहा एक इंच भी नही कम हुआ!

अब ये हालत थी की बरसात में लोगो की जान भी जाने लगी,
लोगो का गुस्सा सातवें आसमान पर था वह कलेक्टर की गाड़ी रास्ते में रोक कर उनसे लगे पूछने आप इतना सब देख कर चुप हैं, कर कुछ नही रहे? कलेक्टर साहब ने एक लाइन में जवाब दिया "इस सबके जिम्मेदार आप लोग हैं" और वह रवाना हो गए ,

किसी को समझ न आया की इसमें हम गरीब और साधारण लोगो की क्या गलती हो सकती है।

सब लोग एक बहुत ही समझदार व्यक्ती जो उसी गांव के किनारे रहा करते थे उनके पास गए और बोले काका बताइए ऐसी बात है और कलेक्टर बोल रहा हमारी गलती है, तब काका खासते हुए उठे और गला साफ करते हुए दो घूट पानी पिए और बोले बिलकुल आप सब की ही गलती है,

जो चबूतरा है वह अनपढ़ गंवार मंत्री के साले का है और वह इसी जिले में मंत्री है तो कलेक्टर साहब उसमें क्या कर सकते हैं इसी मुद्दे को मैने खुद एक साल पहले उठाया था तो तीन कलेक्टर का तबादला इस चबूतरे ने करवा दिया, कलेक्टर साहब तो मजबूर हैं वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते न कोई दूसरा ही आकर कुछ कर पायेगा अब तो चार साल बाद ही कुछ हो सकता है किन्तु कैसे होगा पिछले साल की तरह आप लोग फिर दारू , मुर्गा, और पैसे लेकर बिक जाओगे और ऐसे ही सब चलता रहेगा!...!!!

देश का सबसे ताकतवर आदमी देश का साधारण आदमी है हम लोग हैं पर हम अपनी कीमत समझते नही और जीवन भर रोते हैं....!!

काका जी इतना बोल कर भोजन करने बैठ गए और बांकी लोग अपने अपने घर की ओर चल दिए और मन ही मन "मजबूर कलेक्टर" के लिए दुख प्रकट कर रहे थे!

शशिकांत सिंह

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