Yogesh Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 76939 0 Hindi :: हिंदी
ना रिश्ता देखती है, ना प्यार समझती है वो असूलों के खिलाफ, उसे बदकार समझती है मेरे कहने से नही चलती, ना ही खोफ मानती है सही गलत का अंतर बिल्कुल साफ जानती है है शौक आंधी-तूफानों का, भिड़ जाने का मर जाने का सच लिखने से नहीं टलती ये भय ना इसे जमाने का कभी जहर से कडवे वचन, कभी शहद से मीठे बोलती है प्यार, संसार, परिवार सबको एक तराजू में तोलती है हर पहलू परख के पीरोती है, लोगों की जुबानी चलती नहीं मै पहले ही करू ईकतला, मेरी कलम गुलामी करती नहीं