संदीप कुमार सिंह 05 Oct 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 13956 0 Hindi :: हिंदी
शाम का वो वक्त था। सर्वत्र अदभुत उमंग था। सागर की लहरें मौज में थी। मुझे किसी का इंतजार था। वादियाँ वहां की मस्ती में थी। देख मन को इत्मीनान होता था। लोगों का जमावड़ा खूब था। आने वाली एक हसीना थी। जो मेरे जिन्दगी का चैन था। नाम उसका अदा थी। हुस्न बेमिसाल था। सुगंधित वह इत्र थी। वक्त बीतते जा रहा था। इन्तजार मैं किए ही जा रहा था। एक घंटा देर से वह हसीना आई। ढ़ेर सारी हँसीयों की सौगात लाई। फिर तो वहां मौजूद हर शख्स स्तब्ध हो गया था। उनकी निगाहें अनायास ही घूम जाती थी। उसने बताई थी बड़ी मशक़्क़त से मैं आई। मैं उसे गले से लगा लिया था। सागर की लहर,वादियाँ, वहां मौजूद हर शख्स, सभी मेरे इस प्यार का साक्षी था। हम दोनों के आँखों में आँसू आ गया था। ये आँसू जमाने की सोच का था। जो मेरी माशूका अदा थी। घरवाले उस से नाराज थे। बेटी समझ उसका तिरस्कार करते थे। उसे पढ़ने से मना भी करते थे। सागर किनारे ही हम दोनों फैसला कर लिया था, अदा अब मेरे ही साथ रहेगी। और उसी रात हम दोनों ने, निकाह भी कर लिया था। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....