Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

बचपन के दोस्त

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक बचपन के दोस्त 42912 0 Hindi :: हिंदी

कुछ रास्ते, रिश्तों को कुचल गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।
गलियों वाले, सड़कों पर चक्कर काट रहे।
सूरे- पूरे बन गए, जो कभी पौने आठ रहे।
जीवन क़िस्त कम पड़ रही, देते देते क़िस्त बीमे की।
चटनी रोटी पर आ गए, बात करते थे क़ीमे की।
पानी बिल, स्कूल फीस, सारा जीवन निगल गए।

कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।
ज़हर में बुझाते, वक्र चलते, सीधे हो गए गज़ की जात।
ठान खोदने वाले, खान खोदते, चलते हैं जोड़ हाथ।
चमड़ी वाले, दमड़ी में उलझे, उलझे निनानवे के फेर में।
भूल गए राग- रंग, घिरे चक्रव्यूह के घेर में।
सब गर्दिशे ज़माने में, उलझ गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।
कुछ रास्ते, रिश्तो को कुचल गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।
कुछ -कुछ होने वालों को, अब बहुत कुछ होता है।
जब मोबाइल, अखबार, बिजली का बिल आता है।
प्रेम- गीत गाने वाले, लक्ष्मी की आरती गाते हैं।
 प्रेम- पत्र नहीं, संभालते हैं, जो क़िस्त पावती पाते हैं।
नमक, लकड़ी से अरमान जले, तेवर तेल में तल गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए
फ़ैंसी कट दाढ़ी हो गई, जैसे भेला खेत।
जवानी झट घट रही, ज्यों मुट्ठी की रेत।
चीते- सी फुर्ती वालों का, पेट हो गया तोंद।
कोई कर्ज़ में, कोई मर्ज़, में मिट गई चकाचौंध।
कुछ जाने वाले हो रहे, कुछ आज, कुछ कल गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।
कुछ रास्ते, रिश्तों को कुचल गए।
कुछ मैं, कुछ मेरे दोस्त बदल गए।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: