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मैं बेरोजगार हूँ-मैं लाचार हूँ

Samar Singh 06 Jul 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग जब व्यक्ति बेरोजगार हो तो परिवार वाले तो जैसे पीछे पड़े रहते है । 4917 0 Hindi :: हिंदी

दिन - रात गाली का पाता पगार हूँ, 
मैं बेरोजगार हूँ।

मैं निठल्ला, 
केवल खा रहा गल्ला, 
पहले घर का था लल्ला, 
अब हूँ नल्ला। 
मैं बाजार से लाता हर सामान, 
ढोने वाला कुली सा करता व्यापार हूँ। 
मैं बेरोजगार हूँ।। 

पड़ोसी का बेटा, 
है अच्छा बड़ा, मैं गया लपेटा। 
वो विदेश में, 
मैं घर के निवेश में, 
वो हर जगह फिट, 
मैं लतखोर ढीठ, 
मैं लाचार हूँ, 
मैं बेरोजगार हूँ। 

रचनाकार-- समर सिंह " समीर G "

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