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घाट के किनारे

पूजा शर्मा 23 Apr 2024 कहानियाँ अन्य 392 0 Hindi :: हिंदी

आज हमारे पास लिखने के लिए कोई कहानी या कोई कविता नहीं है।आज हम हमारे भाव इस रचना में उड़ेलना चाहते है।जिंदगी बहुत ही विचित्र पहेली है । क्यो?क्योंकि अगले ही पल आपकी जिंदगी में कब,क्या,कहां, क्यों हो जाए कोई नही जानता।सत्य कहे तो जितना इसे सुलझाना चाहे उतना ही उलझ जाते है हम।कभी कभी आपकी जिंदगी में ऐसे मोड़ आ जाते है कि आप समझ नही पाते। यद्धपि हमारे साथ ऐसा कुछ नही हुआ परंतु फिर भी हम चिंतित है। क्यों?क्योंकि जो भाव हम लिखने जा रहे है वह हमारे हृदय के समीप है।
      हम सपरिवार यात्रा करने गए।कहां ?हरिद्वार।हरिद्वार नाम सुनकर ही भगवान भोले का स्मरण आता है।इस यात्रा के एक दिन , हां ठीक एक दिन पहले हमारा ध्यान कुछ अच्छा नही था या आसान शब्दों में कहे तो मूड ठीक नहीं था,चूंकि हम स्वयं से परेशान थे,आखिर हम क्यो जिए,किसके लिए ?चलिए दिन ढलता गया और भोर निकट आ गई। समानो की तयारी होने लगी।सामान रखा और पहुंचे स्टेशन।गाड़ी मिली और बैठ गए हरिद्वार जाने के लिए।मार्ग लंबा भी था और और रसिक हीन।नीरस इसलिए कि यात्रा पर यदि कोई बालक या आपके मित्र थोड़ी ठिठोली करते हुए चले तो पता नहीं चलता मार्ग कब कट गया।काफी देर बाद हम हरिद्वार पहुंचे।
शेष भाग अगले अंक में।
                                 (पूजा शर्मा..)

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