संदीप कुमार सिंह 11 Dec 2023 कविताएँ समाजिक How to published articles?How to open saving account in sbi?How to use Paytm?How to download Facebook?How to published articles on Facebook. How to create Facebook Group? 9242 0 Hindi :: हिंदी
आज की रात बेखौप रात है, काली तो है पूर्ण काली रात। मगर मेरे मन में नव जोश है, किसी की चेहरा जो सामने है। बस एक झलक का असर है, दिलों_दिमाग पर जादू चला है। मोहिनी सूरत की दिव्य दर्शन से, मन प्रफुल्लित हो उठा है। आज सुबह ही मिलने जाऊंगा, खुशियों से गीत गाता जाऊंगा। उस नाजनीन का इन्तजार है, उसी जगह पर खड़ा रहूंगा। जहां से रुप की रानी गुजरती है, कल जहां दिव्य दर्शन हुआ था। आज वहींं इन्तजार में खड़ा हूं, उन्हें देखने के लिए मचल रहा हूं। आह! वह आ ही गई, मैंने रोका कहा Hello। उसने कही बोलो, मैंने फूलों का गुलदस्ता दिया। उसमें मेरे पत्र भी थे उनके लिए, खुशी से गुलदस्ता लिए आगे बढ़ी। और मैं भी इस मधुर मुलाकात से, रोमांचित हो ख्यालों में डूब गया। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....