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काश तुम समझ पाती-सच्ची मोहब्बत

कुमार किशन कीर्ति 08 Jun 2023 कविताएँ दुःखद समझ,इश्क़,अफवाहों,मुकम्मल 8057 0 Hindi :: हिंदी

काश!तुम समझ पाती!
मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती।
कितना अच्छा होता,
जब हम-तुम एक होते।
तब,अधूरे इश्क़ मुकम्मल होते।
काश!तुम समझ पाती!
मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती।
सारे शिकवे फिर दूर होते,
मगर, तुम अफवाहों में आ गई।
सच्ची मोहब्बत समझ ना पाई।
गर तुम ऐसा नहीं करती,
फिर मेरी मोहब्बत को तुम पा लेती।
काश!तुम समझ पाती!
मुझे यूँ छोड़कर नहीं जाती।

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