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भोपाल

राहुल गर्ग 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #hasya kavita #love poem #pyari kavita #rahul garg #bhopal 46784 0 Hindi :: हिंदी

मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

किराए का घर लेना
और किराया देर से देना
बहाना तंगी का बताना
और पैसे ट्रीट में उड़ाना
रोज भेल को जाना
हाफ टाईम में घर आ जाना
तबियत ठीक नही है
यही रहता था बहाना
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

सात से चार था समय
सर को देखते ही आ जाता था प्रलय
उनके अटकाने वाले सवाल
और झट से हल कर बच जाते थे बाल बाल
उनकी शाबाशी से हो जाता था सीना चौड़ा
पर पीछे थे हम उनसे पढ़ाई में थोड़ा
लड़कियों का भी था साथ
यही मिला था नजराना
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

काम सीखने के लिए
ब्लाक जाना था जरूरी
हर काम सीखने में हमने
जान लगा दी पूरी
काम भी सीखा नाम भी पाया
मैरिट वाले टेस्ट में पहला नम्बर आया
अब चालू कर दिया था
हमने सपनों को सजाना
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

ट्रेंनिग के साथ सारा शहर भी घूमा
अनुशासन में रहा
कहीं लांघ न जाये सीमा
अब तो बस यही था एक काम
सुबह भेल बाकि डी बी सिटी में गुजरती थी शाम
दोस्तों के साथ रहना
कहीं खाना कहीं जाकर सोना
अब उनके बिना मुश्किल था रह पाना
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

अब आ रहा था टाईम एग्जाम का पास
यह जानकर हम होने लगे उदास
चालू कर दी तैयारी पढ़ाई की अब
कुछ छूट न जाये पढ़ रहे थे सब
परीक्षा का समय आया
हमने अपना रंग जमाया
हो गई परीक्षा अब था घर जाना
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना

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