Mk rana 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 34713 0 Hindi :: हिंदी
मां शीतल की गंगा है, मां पीपल की छांव है,, मां का दूध बड़ा अनमोल, जिसका यहां ना कोई तोल,, मां की गोद स्वर्ग समान, मां की आंचल निर्मल जल समान,, उंगली पकड़कर चलना सिखाए, खुद जग-जग कर वह हमें सुलाए,, भूखी प्यासी मां रह जाती, पर हमें भरपेट खिलाती,, मां की कर्ज कोई तोड़ ना पाए, मां की व्याख्या कोई कर ना पाए,,