धर्मपाल सावनेर 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक गीत #गजल# शायरिया ,,# शायरना# अंदाज 32007 0 Hindi :: हिंदी
धूप को दोष लगाया था बदन चांदनी ने जलाया था ।।। बिखरे तो ये जाना हमने कोन अपना कोन पराया था ।।। माना मा ने 9 माह कोख में रक्खा मगर जिंदगी भर बोझ पिता ने उठाया था ।। बनाने लगा साजिश मेरी मौत की वो जिसको अपना समझ कर अपनाया था ।।। चो कन्ने हम भी थे उससे मगर उसने बातो बातो में हमें उलझाया था ।।। अब पछताने से क्या फायदा ये दिले ए नदा दिल लगाने का नतीजा पहले ही समझाया था ।।।