Meenakshi Tyagi 09 Jul 2023 आलेख देश-प्रेम हम सब भारतीय 5277 0 Hindi :: हिंदी
जी हां, 80 और 90 के दशक के हम सब भारतीय अपने हिंदू समाज के सभी रीति रिवाजों के साक्ष्य हैं। जैसा बचपन हमने जिया है वैसा बचपन हमारे बच्चों को नसीब नही हुआ । हमारे बच्चे बचपन से ही सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने की होड़ में इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भेज दिए गए जहां उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कम और सिलेबस पूरा करना ही सिखाया जाता है। और सिलेबस भी कोई थोड़ा बहुत नही पूरा बच्चे के दिमाग पर पूरा बोझ। हम सब भी पढ़े है और अपने सभी रीति रिवाज भी सीखे है, बड़ों का सम्मान छोटों को प्यार, अपनी मर्यादाएं और बहुत बाते हमने पढ़ाई के साथ ही सीखी है, पर आजकल के बच्चें अपनी पढ़ाई में इतने व्यस्त है कि और किसी चीज की फुरसत ही नही 7-8 घंटे स्कूल में रहते है और फिर बच्चे टाइम में ट्यूशन जाते है, वह से ट्यूशन का होमवर्क और बस ऐसे ही दिन भर निकल जाता है,हम सबने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की है, जिसमे हमारे सनातन धर्म के रीति रिवाज धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं जिसमे बच्चें अपने घर के बुजुर्गों की सेवा किया करते थे। सेवा, विनम्रता, सदभाव जैसे विशेष गुण के चैप्टर तो बच्चों के हृदय से बिल्कुल हटा दिया गया है। यह हमारा हिंदू समाज न था.... जरा सोचिए .... जारी है .....