संदीप कुमार सिंह 22 Apr 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 9014 0 Hindi :: हिंदी
गंगा करे सवाल अब,आफत क्यों है आज। सुन्दर भाव मिलते नहीं, खोई सबकी लाज।। गंगा करे सवाल अब, क्यों जल्दी है लोग। तेरे हित में हूं सदा, दूर करूं मैं रोग।। गंगा करे सवाल अब,क्यों बढते हैं पाप। गंगा मैली हो गई, और बढ़ा संताप।। गंगा करे सवाल अब,रखूं नहीं संज्ञान। मनुज हुए हैं तेज अति,पढ़ते अभी विज्ञान।। गंगा करे सवाल अब,भूल रहा इतिहास। गंदा करते हैं मुझे,और करे उपहास।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....