Jyoti yadav 15 Dec 2023 ग़ज़ल समाजिक कब तक बहाने बनाऊंगी 20255 0 Hindi :: हिंदी
अब सपनो को हकीकत में बदलने का वक्त आ गया जिस दिन का था इंतजार मुझे वह दिन आ गया अब और नहीं है रुकना इक बार और रुकी तो सदा के लिए डुब जाऊंगी अब चलने दो मां कब तक बहाने बनाऊंगी कब तक रखोगी मुझे यूं आंचल में छुपा के दुनिया के नजरों से बचा के इक दिन तो मुझे नजर लगना ही है मां जब ख्वाब इतने ऊंचे हैं तो मुश्किल सफर चलना ही है मां राह के हर चट्टान को तोड़ जाऊंगी अब चलने दो मां कब तक बहाने बनाऊंगी तुम तो कहती हो मैं चांद हूं तुम्हारी और चांद हमेशा ही आता है आसमां में बस भरोसा रखो मां आप अपने चांद पर आप के आज और कल दोनों को मुकम्मल कर जाऊंगी अब चलने दो मां कब तक बहाने बनाऊंगी ज्योति यादव के कलम से कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏♥️