Chanchal chauhan 02 Mar 2024 कहानियाँ समाजिक जिस तरह का बीज बोएंगे उसी तरह का फल हमें प्राप्त होगा 10897 0 Hindi :: हिंदी
"बहू मुझे यहां रहने दो मुझे और कुछ नहीं चाहिए । मुझे यहाँ रहने दो ये मेरे स्वर्गीय पति का घर है " गिड़गिड़ाती बेबस बूढ़ी माँ बोली । बहु पर तो जैसे जुनून सवार था क्रूरता का।उसने आव ना देखा ताव बस सिर्फ दो रोटी के लिए बूढ़ी मां को घर से निकाल दिया और फिर आने न दिया । रोती माँ अनजाने रास्ते पर चली जा रही थी और रोते बिलखते हुए सोचती जा रही थी कि शायद उसका बेटा घर होता तो उसे जाने ना देता । किंतु बेटा भी उसकी कहाँ सुनता है । रोते रोते सहसा वह गिर पड़ी तभी एक दम्पति वहां गुजर रहे थे उन्होंने पूछा "क्या हुआ? क्यों रो रही हो अम्मा ?" अम्मा शब्द सुनते ही वह और जोर से रोने लगी । तभी दम्पति ने उसे चुप कराया तब बूढ़ी माँ ने बताया कि रोटी के कारण उसकी बहू ने आज उसे घर से बाहर निकाल दिया । वह बहुत रोई गड़गड़ाई पर बहू ने एक ना सुनी । यह सुन दम्पति उसे अपने घर में ले आये । वहाँ वह उनके बच्चों व उनके साथ घुलमिल गई । बच्चे भी अम्मा जैसी दादी का प्यार पाकर खुश हो गये । परंतु बूढ़ी माँ ने सोचा कि वह घर पर खाली नहीं बैठेगी कुछ काम करेगी जैसे अचार डालने का काम। यह बात उसने दंपत्ति से कही और उन्होंने कहा जैसा आपको अच्छा लगे वही आप करें ।बूढ़ी मां यह सुनकर बहुत खुश हो गई और अचार बनाने का काम करने लगी । धीरे धीरे उसका यह अचार बहुत पसंद आने लगा ।आज उसका अचार बेहद प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग उसके अचार को बेहद पसंद करने लगे ।आज वह बड़े बूढे लोगो के लिए मिसाल बन गई है ।आज बूढ़ी मां बहुत वयस्त हैं और फिर से युवा जैसी दिखने लगी हैं । इस कहानी के माध्यम से मैं उन सभी युवा युवतियों से यह कहना चाहूंगी कि किसी भी बुजुर्ग का निरादर ना करें । मिलजुलकर समस्या का समाधान करें ।आपसी समझ से ही यह बात सुलझ जाएगी। मारपीट करना अपने बुजुगो से और उन्हें घर से बाहर निकाल देना किसी समस्या का समाधान नहीं। क्योंकि जो और जिस तरह का बीज हम बोएगे वही पेड़ के रूप में फल के रूप में हमें प्राप्त होंगे ।