संदीप कुमार सिंह 05 Jun 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत मेरी यही कहानी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4205 0 Hindi :: हिंदी
वह हसीन शाम आज भी मेरे जेहन में उतर जाती है और अपनी रसमयी ताजगी से मुझे तरोताजा करती रहती है। ठीक से तारीख तो याद नहीं है लेकिन उस हसीन शाम की झिलमिल यादें यदा _कदा आ ही जाती है। जो की मेरे लिए लाभकारी ही सिद्ध होती है। बात दर असल कुछ ऐसी है हां मुझे वह दिन याद है वह शुक्रवार की हसीन शाम थीं। वक्त तर्कीबन 05 बजे शाम का होगा। मैं यूं ही घूमने के मकसद से बाजार को निकल पड़ा। वायुमंडल में हवा की चंचलता व्याप्त थी। आसमान में बादल भी मस्ती से अटखेलियां खेल रहे थे। एक दिव्य चमक अम्बर में व्याप्त थी। कुल मिलाकर संपूर्ण वातावरण ही सुरभित सा लग रहा था। सारे लोगों के मुख पर भी बहुत ही भव्य खुशी देखने को मिल रही थी। और ऐसे में धरा का रौनकता तो देखने में अनुपम लग रहा था। तभी अचानक से एक आवाज ने मुझे विस्मित किया। पीछे से आई आवाज की तरफ मैंने मुंडी घुमाकर देखा तो मेरे खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरे कालेज की BA क्लास की वह एक युवती थी अभी पहले कभी छात्रा हुआ करती थीं। नाम उनका कामनी था। आँखों में उसके सैकड़ों ख़्वाब पहले से पल रहा था। बात करने की अदा बेमिसाल थी। चाल चलने की कला में माहिर थी मानो एक_एक कदम किसी संगीत के सुर में सजाई हुई हो। मैं दौड़कर उसके पास गया हाथ मिलाया गर्म जोशी से। फिर उनका हाल_चाल पूछा। काफी खुश वह भी दिख रही थीं। मैंने फॉरन उसे एक होटेल में ले गया और कुछ मीठा नास्ता ऑर्डर कर दिया। इसके बाद हमलोगों का गप्प शुरू हुआ। तो उसने एक समाज कल्याण के लिए काम शुरू कर रखी थी जिसमें वह गरीब और अनाथ बच्चों को अपने फॉर्म में ले आती थी। उसने मुझे भी इस नेक काम में साथ देने को कही। मैं भी तो इसी टाइप का व्यक्ति हूं, तुरंत मैंने हामी भर दिया। तो अभिप्राय यह है की वह मुलाकात उस हसीन शाम की तरह ही हसीन हो गई। आज इस नेक काम के चलते समाज में दूर _दूर के लोगों से अति प्यार और सम्मान मिल रहा है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....